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Bollywood News : कन्हैयालाल हत्याकांड को पर्दे पर लाने की साहसिक पहल: जल्द आ रही है The Gyanwapi Files (A Tailor Murder Story)

जयपुर। आगामी 27 जून को रिलीज़ होने जा रही बहुचर्चित फीचर फिल्म “द ज्ञानवापी फाइल्स – ए टेलर मर्डर स्टोरी” के निर्माता अमित जानी और निर्देशक भारत एस. श्रीनेत ने बताया कि यह फिल्म राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की निर्मम हत्या पर आधारित है। एक ऐसा कांड जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस फिल्म में न केवल उस घटना को यथार्थ रूप में प्रस्तुत किया गया है, बल्कि इसके पीछे की मानसिकता, व्यवस्था की भूमिका और समाज के मौन को भी प्रभावशाली रूप से चित्रित किया गया है।
जाने माने और सशक्त कलाकारों ने निभाई है फिल्म में अहम भूमिका :
फिल्म में विजय राज, प्रीति झंगियानी, रजनीश दुग्गल, कांची सिंह, मुश्ताक खान राकेश बिश्नोई , पुनीत वशिष्ठ, कमलेश सावंत, एहसान खान, संदीप बोस, मनोज बक्शी, आधी यादव जैसे सशक्त कलाकारों ने इस फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। यह फिल्म 27 जून 2025 को रिलायंस एंटरटेनमेंट द्वारा विश्व भर में (भारत, यूके, यूएस, दुबई) 4500 स्क्रीन्स पर रिलीज की जाएगी।
जाने-माने गायकों की दमदार आवाज़ में सजे हैं ‘द ज्ञानवापी फाइल्स’ के गीत :
इस फिल्म के संगीत में भारत के प्रसिद्ध और चर्चित गायकों जैसे कैलाश खेर, पलक मुछाल, अली कुली मिर्ज़ा, नंदिनी श्रीकर, प्रतिभा कुमारी, दिव्य कुमार और सौरभ शाह यादव ने अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है। हर गीत न केवल कहानी को आगे बढ़ाता है, बल्कि दर्शकों को भीतर तक झकझोरने वाला भावनात्मक अनुभव भी देता है।
इस आयोजन की सबसे मार्मिक घड़ी तब आई जब कन्हैयालाल की धर्मपत्नी और दोनों पुत्रों ने मीडिया के समक्ष अपने दिल की बात कही। उन्होंने फिल्म के माध्यम से न्याय की मांग को और मज़बूती से दोहराया और कहा कि “यह फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं, हमारे दर्द की आवाज़ है।”
फिल्म नहीं, समाज के लिए एक दस्तावेज है ‘द ज्ञानवापी फाइल्स’ :
निर्माता अमित जानी ने कहा, “यह फिल्म केवल एक मर्डर केस को नहीं दिखाती, यह समाज की आंखें खोलने वाली दस्तावेज़ है।” निर्देशक भारत एस. श्रीनेत ने जोड़ा, “हमने कोशिश की है कि सच्चाई को बिना डर और दबाव के सामने लाया जाए।” ‘द ज्ञानवापी फाइल्स – ए टेलर मर्डर स्टोरी’ केवल फिल्म नहीं, एक संवेदनशील प्रयास है उस चुप्पी को तोड़ने का जो किसी निर्दोष की हत्या के बाद भी समाज में गूंज नहीं बन पाई।

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