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सरकारी भवनों में इस्तेमाल होगा गाय के गोबर से तैयार पेंट, सीएम योगी ने दिए अधिकारियों को ये निर्देश

(संवाददाता : दीपक आत्रे)

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निराश्रित गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस प्रयास करने के निर्देश देते हुए रविवार को कहा कि गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट का प्रयोग सरकारी भवनों में भी किया जाए। मुख्यमंत्री ने पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को ये निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट का प्रयोग सरकारी भवनों में भी किया जाए तथा इन पेंट संयंत्र की संख्या बढ़ाई जाए।

सीएम योगी ने कहा, ‘‘पशुपालन और दुग्ध विकास प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार है। यह क्षेत्र केवल दुग्ध उत्पादन तक सीमित नहीं, बल्कि इसमें आजीविका, पोषण सुरक्षा और महिला सशक्तीकरण की भी व्यापक संभावनाएं हैं।’’

उन्होंने कहा कि तकनीक, निवेश और नवाचार को बढ़ावा देते हुए इस क्षेत्र को और सशक्त किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री को जानकारी दी गई कि वर्तमान में प्रदेश के 7,693 गो आश्रय स्थलों में 11.49 लाख गोवंश संरक्षित हैं जिनकी निगरानी सीसीटीवी से की जा रही है और नियमित अंतराल पर निरीक्षण भी किया जा रहा है। उन्होंने निर्देश दिए कि इन आश्रय स्थलों में देखभाल के लिए कर्मचारी की तैनाती, उन्हें समय से वेतन भुगतान, भूसा बैंक की स्थापना, पानी, हरे चारे और चोकर की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

सीएम ने कहा, ‘‘आश्रय स्थलों में समय-समय पर पशु चिकित्सकों का दौरा भी कराया जाए। जिन गरीब परिवारों के पास पशुधन नहीं है, उन्हें ‘मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना’ के अंतर्गत गाय उपलब्ध कराई जाए। इससे परिवारों को एक ओर जहां गोसेवा का पुण्य प्राप्त होगा, वहीं दूसरी ओर दूध की उपलब्धता से परिवार के पोषण स्तर में भी सुधार होगा।’’

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडल स्तर पर देसी नस्ल की गायों की प्रतियोगिता कराई जानी चहिए और अच्छे गो आश्रय स्थलों को चिह्लित कर सम्मानित किया जाए। इसी प्रकार, गो आधारित उत्पाद बनाने वाली संस्थाओं के बीच भी प्रतियोगिता आयोजित की जाए। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि 40,968.29 हेक्टेयर चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटा दिया गया है, जिसमें से 12,168.78 हेक्टेयर भूमि को हरे चारे के उत्पादन के लिए समर्पित किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह पहल ग्रामीण रोजगार भी पैदा कर रही है, जिसमें महिला स्वयं सहायता समूह सक्रिय रूप से शामिल हैं। कुल 21,884 गोसेवकों को प्रशिक्षित और तैनात किया गया है। बरेली में, इफ्को के सहयोग से बड़े गो संरक्षण केंद्रों पर जैविक खाद और गोमूत्र प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना प्रगति पर है।’’ अधिकारियों ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 4,922 सहकारी दुग्ध समितियों की स्थापना का लक्ष्य है।

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