Moradabad News : अपहरण की वारदात न होती तो कभी नहीं खुलता सोना तस्करी का राज़, दो महीने से मामले को दबाती रही मुरादाबाद पुलिस
दो महीने पहले टांडा के एक पीड़ित परिवार ने मुरादाबाद पुलिस से लगाई थी न्याय की गुहार, पेट से सोना निकालने के मामले में साईं हॉस्पिटल के एक डॉक्टर पर लगाया था आरोप, दो महीने से जाँच में ही पन्ने पलटती रही मुरादाबाद पुलिस

मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद पुलिस को पेट में भरकर विदेशो से सोना तस्करी करने की सूचना दो महीने पहले ही लग चुकी थी। लेकिन मुरादाबाद पुलिस जाँच का आश्वासन देते हुए कुछ सफेदपोश को बचाने के चक्कर में अपनी किरकिरी कराती रही। सोना तस्करी का मामला मुरादाबाद पुलिस शायद कभी खोलती भी नहीं अगर सोना तस्करी के मामले में अपहरण की घटना को अंजाम नहीं दिया गया होता।

जनपद रामपुर की तहसील स्वार के टांडा में रहने वाले एक पीड़ित परिवार ने मुरादाबाद पुलिस से लगभग दो महीने पहले शिकायत की थी कि उनके परिवार का एक युवक कुछ रुपयों के लालच में सऊदी से पेट में सोना लेकर आता है। जो मुरादाबाद के दिल्ली रोड स्थित साईं हॉस्पिटल में हर्निया के ऑपरेशन के नाम पर युवको के पेट से निकला जाता है। इसमें साईं हॉस्पिटल के डॉक्टर जुहैब नसीम और अन्य लोग मदद करते है। उनका परिचित आखिरी बार जब सोना लेकर आया तो साईं हॉस्पिटल में सोना निकालने के दौरान उसकी मौत हो गयी। उस समय सोना तस्करी की खबर की जानकारी होने पर मुरादाबाद पुलिस के कान खड़े हो गए और पीड़ित परिवार को कार्यवाही का आश्वासन दे दिया गया। दो महीने से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी मुरादाबाद पुलिस द्वारा साईं हॉस्पिटल और वहाँ के डॉक्टर पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। दो महीने से पुलिस पुरे मामले को पीती रही और कुछ सफेदपोशो को बचाने के चक्कर में शायद पुलिस की जाँच ऐसे ही सालो जारी रहती लेकिन सोना तस्करी के अपहरण काण्ड ने मुरादाबाद पुलिस के मनसूबे पर पानी फेर दिया।

मुरादाबाद पुलिस ने अपहरण की घटना के बाद मुक़ादमा दर्ज़ कर चार सोना तस्करो के साथ टांडा के पूर्व सभासद को भी इन सोना तस्करो का फाइनेंसर बता कर जेल भेज दिया। लेकिन पूरी जाँच में अभीतक पुलिस ने उन डॉक्टर्स या अस्पताल का नाम नहीं खोला जो इन तस्करो के पेट से सोना निकालने में मदद करते थे। आखिर पुलिस किसी रसूख के चलते इन पर कार्यवाही नहीं करना चाह रही या फिर इन्हे बचाने में लगी है।
बरहाल सोना तस्करी का यह मामला अब लखनऊ तक पहुंच गया है, डीआईजी मुनिराज ने भी इस प्रकरण में टांडा पुलिस की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए जाँच के आदेश दिए है.